आगरा के कालिंदी विहार स्थित किड्स वनस्थली स्कूल में आज ग्रीष्मकालीन शिविर का समापन समारोह का आयोजन किया गया, इस दौरान बच्चों के द्वारा योगा, ताइक्वांडो, जिमनास्टिक, डांस एवं अन्य एक्टिविटीज करके दिखाई गई। शिक्षक एवं शिक्षकों के द्वारा विद्यार्थियों को अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया था, जिससे स्टेज पर बच्चों ने एक बेहतरीन प्रस्तुति दी है। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष आशा अग्रवाल एवं रेखा शर्मा रहीं।
वीरेंद्र कुमार मित्तल ने बताया है कि विद्यालय की प्रधानाध्यापक सुनैना नाथ के साथ-साथ विद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने ग्रीष्मकालीन शिविर समापन समारोह का भव्य आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक, शिक्षिकाओं के द्वारा बच्चों को एक उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया है आज हमने स्टेज पर उनका डेमो देखा है, इससे प्रतीत होता है कि शिक्षक और शिक्षिकाएं बहुत काबिल हैं। वीरेंद्र कुमार मित्तल ने कहा कि हमने जिमनास्टिक की शिक्षिका का प्रदर्शन देखा तो हमें लगा कि हम कोई इंटरनेशनल जिमनास्टिक कार्यक्रम को देख रहे हैं। उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन काबिले तारीफ था। इस दौरान वीरेंद्र कुमार मित्तल ने विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य की कामना की है। उन्होंने कहा कि कुछ अभिभावक ग्रीष्मकालीन अवकाश को फालतू समय समझते हैं, तो मैं ऐसे अभिभावक बच्चों को संदेश देना चाहूंगा कि यह फालतू का समय नहीं है, समय का सदुपयोग करें।
भारतीय जनता पार्टी जनता पार्टी की महानगर महिला मोर्चा से उपाध्यक्ष आशा अग्रवाल ने कहा है कि विद्यालय की ओर से बच्चों के लिए पिछले 10 दिनों से समर कैंप लगाया गया है। जिसमें बच्चे नई-नई प्रतिभाएं सीख रहे हैं, और आज बच्चों की प्रतिमाएं उजागर हुई है, बच्चों ने 10 दिनों में बहुत ही अच्छी प्रतिभाएं सीखीं है, जिनका उन्होंने आज प्रदर्शन किया है, उन्होंने कहा कि समर वेकेशन को एक महत्वपूर्ण समय के रूप में देखना चाहिए, अभिवावकों को चाहिए कि उनकी अभिरुचि के हिसाब से जो भी सीखना चाहे उसे सीख सकते हैं।
महिला मोर्चा महानगर उपाध्यक्ष रेखा शर्मा ने बताया है कि किड्स वनस्थली स्कूल में बच्चों को पिछले 10 दिन में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया गया है, यहां के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं बेहद काबिल हैं। उनके द्वारा विद्यालय का माहौल बहुत अच्छा बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस तरीके से बच्चों की छिपी हुई प्रतिभाएं बाहर निकल कर आती है, बच्चे झिझकते नहीं है, और यही छिपी हुई प्रतिभाएं आगे चलकर वही बच्चों का पेशा बन जाती है।