सपनों को उड़ान भरने में वक्त नहीं लगता है। जब सपनों के पंखों के निडर हौसले के हवा से सहारा मिल जाए। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं की मलिन बस्तियों एवं झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में शानदार प्रदर्शन किया है। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने बच्चों को पढ़ाई करने में सहारा दिया है। नरेश पारस ने सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराया है। उनकी पढ़ाई लिखाई कराई सभी को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी भी कराई।
बताया गया है, कि बच्चों के घर में बिजली, पानी कुछ भी नहीं था, यह स्ट्रीट लाइट के नीचे अपनी परीक्षाओं की तैयारी करते थे। जिसमें पंचकुइया की झुग्गी झोपड़ियां में रहने वाला एक परिवार नींबू मिर्च बांधकर शहर के लोगों की नजर उतारने का काम करता है। इस परिवार के एक लड़के ने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। तथा तीन लड़कियों ने दसवीं की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है।
वही दूसरा मामला वजीरपुरा का है। जहां वजीरपुरा की सानिया के पिता आबू लाला दरगाह के सामने फूल बेचते हैं। आर्थिक तंगी के कारण सानिया ने पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन नरेश पारस सहारा बनकर आए उन्होंने लड़की का सेंट जॉन्स इंटर कॉलेज में दाखिला कराया। खुद ही फीस भरी और लड़की को परीक्षाओं की तैयारी कराई और लड़की ने भी 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से उत्तीर्ण की है। और सानिया वकील बनना चाहती है।
ऐसा ही मामला एक देवरी रोड का आया है। जिसमें चार भाई बहनों के पिता की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी, जिसमें रिश्तेदार बड़ी बहनों को बालिका वधू बनाना चाहते थे। लेकिन समाजसेवी नरेश पारस ने उनको मुक्त कराया और उनका भी सहारा बने और सभी की पढ़ाई शुरू करवाई पिछले 5 सालों से सभी सभी बच्चों की खुद ही देखभाल कर रहे हैं अब दोनों बड़ी बहनों ने 12वीं की परीक्षा पास की है।