पीएम मोदी के नेतृत्व में भीष्म प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध के समय में लोगों को जल्द से इलाज महैया करना है। इसी को लेकर मलपुरा के ड्रॉपिंग जोन में भीष्म पोर्टेबल अस्पताल का सफल परीक्षण किया गया। जिसमें 720 किलो वजन का पोर्टेबल अस्पताल को जमीन पर उतारा गया। मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में विमान से दो पैराशूट की मदद से यह आसानी से उतर आया।
प्रोजेक्ट भीष्म पूरी तरह से स्वदेशी है, और पोर्टेबल अस्पताल को कहीं भी उतारा जा सकता है, यह बेहद मजबूत वाटरप्रूफ एवं सोलर एनर्जी और बैटरी से भी चलता है। भीष्म पोर्टेबल अस्पताल में कई विशेषताएं दी गई है, जिसमें 36 क्यूब्स में तैयार किया गया है। इसे बनाने में लगभग 1.50 करोड़ रुपए की लागत लगी है। इसमें एक्स– रे मशीन, खून की जांच, ऑपरेशन थिएटर, वेंटीलेटर की सुविधाओं से लैस है भीष्म पोर्टेबल अस्पताल मात्र 8 मिनट में शुरू किया जा सकता है।
इन सभी बॉक्स पर क्यूआरडी कोड लगाया गया है, जिस पर एक्सपायरी डेट भी डाली गई है, आपातकाल की स्थिति के दौरान आम लोग भी इन बॉक्स को खोलकर दवाएं और इलाज ले सकते हैं, इसमें गोली लगने, सिर, जलन, रीड की हड्डी, और छाती की चोटों के इलाज फ्रैक्चर और प्रमुख रक्तस्राव सहित चोटों के इलाज की सुविधा की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीच में प्रोजेक्ट शुरू किया गया था, पोर्टेबल अस्पताल भीष्म को मलपुरा ड्रॉपिंग जोन में आसमान से वायु सेवा के विमान से नीचे फेंका गया, नीचे गिरने के बाद यह है चेक किया जाना था कि अस्पताल कितनी देर में तैयार हो जाता है, एक सिरे से दूसरे पैराशूट का समूह बांधा गया और दूसरे सिरे से लोहे के प्लेटफार्म से पोर्टेबल अस्पताल बांध दिया गया।