आगरा के सिविल न्यायालय सीनियर डिवीजन में एक नया दावा दायर किया गया है, जिसमें फतेहपुर सीकरी की सलीम चिश्ती दरगाह को कामाख्या माता मंदिर होने का दावा किया गया है, और जामा मस्जिद को कामाख्या माता का मंदिर परिसर बताया गया है, अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने नया दावा दायर किया है। साथ ही उन्होंने बताया है कि केस में माता कामाख्या, आस्थान माता कामाख्या, आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट, योगेश्वर श्रीकृष्ण सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान ट्रस्ट, क्षत्रिय शक्तिपीठ, विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी हैं।
प्रतिवादियों की संख्या 3 है, जिनमें से पहली. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, दूसरी. प्रबंधन कमेटी दरगाह सलीम चिस्ती, और तीसरी प्रबंधन कमेटी जामा मस्जिद है। इस दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया है कि वर्तमान में विवादित संपत्ति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन एक संरक्षित स्मारक है, जिस पर सभी विपक्षी गण अतिक्रमणी है। अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया है कि प्रचलित ऐतिहासिक कहानी के अनुसार फतेहपुर सीकरी को अकबर ने बसाया था लेकिन यह बिल्कुल असत्य है। बाबर में अपने बाबर नामा में सीकरी का उल्लेख किया था, और वर्तमान में बुलंद दरवाजे के नीचे दक्षिण पश्चिम में एक अष्ट भुजीय कुआं/बावली है।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने बताया है कि फतेहपुर सीकरी का मूल नाम सीकरी है, जिसे विजयपुर सीकरी भी कहते हैं, जो कि सिकरवार क्षत्रियों का राज्य था, और विवादित संपत्ति माता कामाख्या देवी का मूल गर्भ ग्रह व मंदिर परिसर था। अधिवक्ता ने बताया कि डी. वी. शर्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षक पुरातत्वविद रहे हैं, उन्होंने अपने कार्यकाल में फतेहपुर सीकरी के वीर छबीली टीले की खुदाई करवाई थी, जिसमें उन्हें सरस्वती और जैन मूर्तियां मिली थी, जिनका काल 1000 ई के लगभग था।
माननीय न्यायाधीश श्री मृत्युंजय श्रीवास्तव के न्यायालय लघु वाद न्यायालय में पेश किया गया, जिस पर माननीय न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए इश्यू नोटिस का आदेश किया व सुनवाई की अगली तिथि ऑनलाइन ई कोर्ट पर देखने को कहा है, आज सुनवाई के दौरान वादी व अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुलश्रेष्ठ, अधिवक्ता अभिनव कुलश्रेष्ठ, अजय सिकरवार उपस्थित रहे।
अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने यह भी बताया है कि खंडवा युद्ध के समय सीकरी के राजा राव धामदेव थे, खंडवा युद्ध में जब राणा सांगा घायल हो गए थे, तो राव धामदेव धर्म बचाने के लिए माता कामाख्या के प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को ऊंट पर रखकर पूर्व दिशा की ओर गए, और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के सकराडीह में कामाख्या माता के मंदिर को बनाकर इस विग्रह को पुनः स्थापित किया, वहीं राव धामदेव के इस तथ्य को राजकवि विद्याधर ने अपनी पुस्तक में उल्लेखित किया है।