फिरोजाबाद के जसराना क्षेत्र स्थित नगला मान सिंह गांव से वाइल्ड लाइफ एसओएस की टीम के द्वारा 7 फीट लंबे मगरमच्छ को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया है, उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के द्वारा संयुक्त रूप से यह रेस्क्यू किया गया है। नगला मान सिंह के ग्रामीणों ने जब मगरमच्छ को देखा तो हड़कंप मच गया और उनके द्वारा तत्काल ही वन विभाग के कार्यालय में इसकी सूचना दी गई, इसके बाद उत्तर प्रदेश वन विभाग ने विशेषज्ञ की सहायता के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस से संपर्क किया।
सूचना पर तत्काल वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम के तीन सदस्य आवश्यक बचाव उपकरणों और पिंजरे के साथ स्थान पर पहुंच गए, लगभग 1 घंटे चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग के अधिकारियों के साथ टीम ने सावधानी और सफलतापूर्वक मगरमच्छ को पिंजरे में कैद कर लिया। मगरमच्छ के रेस्क्यू के बाद चिकित्सीय परीक्षण किया गया मगरमच्छ को स्वस्थ और रिलीज के लिए उपयुक्त पाया गया, कुछ देर चिकित्सीय निगरानी में रखने के बाद उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।
जसराना रेंज के वन अधिकारी आशीष कुमार ने बताया है कि मगरमच्छ को बचाने में तुरंत सहायता के लिए हम वाइल्डलाइफ एसओएस को धन्यवाद देते हैं, सफल बचाव अभियान एनजीओ और वन विभाग की अनुभवी टीम के बीच उत्कृष्ट सहयोग का परिणाम है।वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने सहयोगात्मक प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “ऐसे बचाव अभियान वन्यजीव संरक्षण में स्थानीय भागीदारी और त्वरित कार्रवाई के महत्व को दर्शाते हैं। हम ग्रामीणों की त्वरित जानकारी के लिए आभारी हैं, जिन्होंने समय बर्बाद ना करते हुए तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी। हमारी टीम लोगों और वन्यजीवों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है, और यह सफल रेस्क्यू और रिलीज़ इसमें शामिल सभी लोगों के लिए गर्व की बात है।
वाइल्डलाइफ एसओएस में डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “संकट में फंसे वन्यजीवों को बचाना और उनका पुनर्वास करना हमारे मिशन की प्राथमिकता है। इस मगरमच्छ को उसके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ना समन्वित बचाव प्रयासों की प्रभावशीलता को उजागर करता है। भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा के लिए हम ऐसी आपात स्थितियों पर तत्परता और सावधानी के साथ प्रतिक्रिया देना जारी रखेंगे।मगर क्रोकोडाइल जिसे मार्श क्रोकोडाइल के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप, श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और ईरान के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। यह आमतौर पर मीठे पानी जैसे नदी, झील, पहाड़ी झरने, तालाब और मानव निर्मित जलाशयों में पाया जाता है और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित है।