आगरा महिला की मौत के बाद 9 वर्ष बाद मुकदमा हुआ दर्ज, कांस्टेवल पति ने कोर्ट से कराया मुकद्दमा दर्ज

आगरा नौ वर्ष पहले आगरा थाना शाहगंज क्षेत्र में बोदला रोड स्थित आशीर्वाद अस्पताल में गर्भवती महिला कांस्टेबल को भर्ती कराया गया। आप्रेशन से पहले  गलत इंजेक्शन और दवा देने से उसकी किडनी और हार्ट खराब हो गए। गुर्दा प्रत्यारोपण करवाना पड़ा। आठ साल के लगभग इलाज के बाद उसने दम तोड़ दिया। जीआरपी कैंट पर तैनात सिपाही पति ने कार्रवाई के लिए अधिकारियों के चक्कर काटे। सुनवाई न होने पर न्यायालय की शरण ली। पांच माह तक सुनवाई के बाद साक्ष्य के आधार पर न्यायालय के आदेश पर थाना शाहगंज में अस्पताल संचालिका डा. रत्ना शर्मा और अज्ञात कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

मैनपुरी के रहने वाले आदेश यादव वर्तमान में जीआरपी कैंट पर हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। आदेश ने बताया कि पत्नी प्रियंका यादव भी यूपी पुलिस में कांस्टेबल थीं। 19 जुलाई 2014 को गर्भवती होने पर आशीर्वाद नर्सिंग होम में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. रत्ना शर्मा से उनका इलाज शुरू हुआ था। डिलीवरी के लिए 13 मार्च 2015 को नर्सिंग होम में भर्ती किया। डा. ने 14 मार्च को आप्रेशन से पहले इंजेक्शन और दवा दी। इसके बाद पत्नी हो घबराहट होने लगी। तबियत खराब होने के बाद भी डा. रत्ना शर्मा ने आप्रेशन कर दिया। 16 मार्च की शाम को हालत ज्यादा खराब होने पर दीवानी चौराहे स्थित लोटस अस्पताल रेफर किया गया। चिकित्सकों ने जांच के बाद रिपोर्ट में गलत दवा देने से किडनी और हार्ट खराब होने की जानकारी दी। अगले दिन सुबह ही तबियत बिगड़ने पर दिल्ली अपोलो अस्पताल भेजा गया। वहां 17 अप्रैल तक इलाज हुआ। रिपोर्ट में गलत दवा के कारण दिल और किडनी खराब हो जाने और भविष्य में इन अंगों के काम न करने की जानकारी दी गई। इसके बाद 20 नवंबर 2016 को गुर्दा प्रत्यारोपण कराया गया। इसके बाद बीमार होने और डायलिसिस के लिए 50 से अधिक बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इलाज में तीन करोड़ रुपये खर्च हो गए। तमाम रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ा। नवंबर 2022 से 24 जनवरी 2023 तक पत्नी वेंटीलेटर पर रही। 24 जनवरी को पत्नी की मृत्यु हो गई। आदेश यादव ने बताया कि 2015 में शिकायत की पर कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पत्नी का इलाज और बेटी की परवरिश के चलते परेशान रहा। पत्नी की मृत्यु के तीन माह बाद पैरवी शुरू की। अधिवक्ता राहुल राठौर के माध्यम से न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया। पांच माह तक जांच और सुनवाई चली। साक्ष्यों के आधार पर आठ अप्रैल 2024 को न्यायालय ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश शाहगंज पुलिस को दिए। इसके बाद मंगलवार को मुकदमा दर्ज किया गया। अस्पताल के खिलाफ आईएमए और ग्रह मंत्रालय को शिकायत की जा चुकी है। अस्पताल सील होने तक कानूनी लड़ाई लडूंगा।