पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स (PETA) इंडिया द्वारा चमड़े का उपयोग न करने के लिए महिम जारी की गई है, जिसमें PETA की एक महिला कार्यकर्ता आगरा फोर्ट के सामने बच्चों के कटे हुए अंगों के कोट पहन कर दिखाई दी है महिला कार्यकर्ता ने खिलौने वाली गुड़िया के हाथ पैर और सिर से अपने कोर्ट को सजा कर रखा था। और हाथों में तख्ती ले रखी थी जिसमें लिखा था हर कोई किसी ना किसी का होता है।
महिला का कहना है कि समाज को चमड़ा मुक्त करना उनका उद्देश्य है, क्योंकि जो चमड़ा पहना जाता है, वह भी किसी न किसी के बच्चे का होता है, गाय हो या भैंस हो या कोई अन्य जानवर हो, प्राण सब में होते हैं, और दर्द सबको होता है, चमड़ा इन्हीं जानवरों की त्वचा से बनाया जाता है। महिला का कहना है कि चमड़े की वजह से कितने जानवरों की जान जाती है। जब जानवरों को स्लॉटर हाउस में ले जाया जाता है, तब उन्हें रास्ते में भी छोटी जगह पर बंद करके ले जाया जाता है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना होता है।
उनका कहना है कि इसी के लिए आज हमने जागरूकता अभियान चलाया है, और लैदर की जगह पर कई सारे विकल्प हैं जैसे केमिकल लैदर, नारियल लैदर, केला लैदर।